अंतरावलोकन स्वयं एक साधना – भगवान सिंह
वांकल धाम विरात्रा में क्षत्रिय बालिकाएं इतिहास, संस्कृति और परंपराओं का ज्ञान प्राप्त करने के साथ पढ़ रही है कर्तव्य पालन का पाठ
बाड़मेर- भगवान के अस्तित्व के बारे में दो मान्यताएं हैं, जो उस अस्तित्व को स्वीकार करते हैं उनको आस्तिक कहते हैं और जो स्वीकार नहीं करते उन्हें हम नास्तिक कहते हैं। आस्तिक लोग जो उपासना करते हैं इस संसार में, वह भी दो प्रकार की कहलाई जाती है – निर्गुण साधना और सगुण साधना। निर्गुण साधना का सामान्य अर्थ है बिना मूर्ति के, बिना कोई प्रतीक के हृदय में परमेश्वर का ध्यान करते हुए उपासना करना। जो ऐसा नहीं कर पाते वे प्रतीक का सहारा लेते हैं चाहे वह मूर्ति हो, चिह्न हो या कोई पुस्तक हो। देखा जाए तो संसार में नास्तिक कोई नहीं है फिर भी विचारधाराओं के अनुसार इस प्रकार की मान्यताएं बनी हुई है।

दूसरी बात, कोई भी निर्गुण उपासक नहीं है, सभी प्रतीक उपासक हैं और सगुण उपासक हैं। हम भी श्री क्षत्रिय युवक संघ में दो प्रकार की साधना करते हैं, प्रथमतः हम प्रतीक पूजक हैं। हमारे ध्येय क्षात्रधर्म के लिए हमने केसरिया ध्वज को प्रतीक माना है जो यहां रात-दिन फहरा रहा है और देख रहा है कि हमारे जीवन में कहां अच्छे कदम उठ रहे हैं और कहां हमारी साधना भंग हो रही है। यह हमारे ईश्वर का प्रतीक भी है, क्षात्रधर्म का प्रतीक भी है, इसको सदैव स्मरण करते हुए स्वतः हमारा मस्तक झुक जाना चाहिए। दूसरी हम जो उपासना कर रहे हैं वह अंतःकरण की साधना है जो बाहर दिखाई नहीं देती। इस आंतरिक साधना में हम अपना स्वनिर्माण करने के लिए अपना अंतरावलोकन करते रहते हैं, यह स्वयं एक साधना है।

आपको यहां खेल, चर्चा, बौद्धिक प्रवचन आदि सभी गतिविधियों में अंतरावलोकन की शिक्षा मिलती है। उपरोक्त संदेश श्री क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक श्री भगवान सिंह रोलसाहबसर ने आलोक आश्रम, बाड़मेर में चल रहे उच्च प्रशिक्षण शिविर के चौथे दिन 22 मई, 2022 को अपने प्रभात संदेश में दिया। श्री क्षत्रिय युवक संघ का बालकों का उच्च प्रशिक्षण शिविर 19 से 29 मई तक आलोक आश्रम बाड़मेर में चल रहा है जिसमें संघप्रमुख श्री लक्ष्मण सिंह बैण्याकाबास के संचालन में देशभर के युवा क्षत्रियोचित संस्कारों का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
वांकल धाम विरात्रा में क्षत्रिय बालिकाएं इतिहास, संस्कृति और परंपराओं का ज्ञान प्राप्त करने के साथ पढ़ रही है कर्तव्य पालन का पाठ
चौहटन के विरात्रा में वाकल माता मंदिर के प्रांगण में बालिकाओं का भी 11 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर चल रहा है जिसमें वरिष्ठ स्वयंसेविका जागृति बा हरदासकाबास के संचालन में क्षत्रिय बालिकाएं अपने इतिहास, संस्कृति और परंपराओं का ज्ञान प्राप्त करने के साथ ही कर्तव्य पालन का पाठ पढ़ रही है। शिविर में खेल, सहगीत, यज्ञ आदि गतिविधियों के अतिरिक्त पूज्य श्री तनसिंह जी द्वारा रचित संघ साहित्य पर भी चर्चा की जाती है।