देश के राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार बनाए गए रामनाथ कोविंद का उत्तर प्रदेश के कानपुर से गहरा रिश्ता रहा है. भले ही वह इस समय वह बिहार के राज्यपाल हों लेकिन कानपुर से लगातार उनका जुड़ाव रहा है. यही कारण है कि वह समय-समय पर यूपी का दौरा करते रहे हैं. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी युग के रामनाथ कोविंद यूपी में बीजेपी के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते रहे हैं.
स्वाभाव से सरल और सौम्य कोविंद का जन्म कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में हुआ. यह वह दौर था जब चम्बल और यमुना के बीहड़ों में डकैतों का राज हुआ करता था. हालांकि जब राम नाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की तो उनका पूरा परिवार वहां से दिल्ली शिफ्ट हो गया.
उनके पुराने साथियों के मुताबिक कोविंद का पॉलिटिकल सितारा उस वक्त चमका, जब 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव बने. इसके बाद वह बीजेपी नेतृत्व के संपर्क मेआए ।