-डिजास्टर मैनेजमेंट कार्यशाला आयोजित,संभागियांे ने दिए सुझाव
बाड़मेर,11 अप्रैल। बाढ़, चक्रवाती तूफानों, भूकम्प, भूस्खलन अथवा तेल-गैस क्षेत्र मंे किसी भी आपातकालीन आपदा को शत-प्रतिशत रूप से रोका नहीं जा सकता। लेकिन इनके प्रभाव को एक सीमा तक जरूर कम किया जा सकता है। ताकि जान-माल का कम से कम नुकसान हो। यह कार्य तभी संभव है जब आपदा प्रबंधन के लिए सामुदायिक सहयोग मिले। साथ ही समय पर आपदा प्रबंधन की गतिविधियां संचालित हो। इसके लिए सबको आपसी समन्वय से कार्य करना होगा। जिला कलक्टर सुधीर शर्मा ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट कांफ्रेस हाल मंे केयर्न इंडिया एवं वेदांता की ओर से आयोजित डिजास्टर मैनेजमंेट कार्यशाला के दौरान यह बात कही।
जिला कलक्टर सुधीर शर्मा ने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर विभिन्न प्रकार की जागरूकता गतिविधियां आयोजित करने के साथ आपदा प्रबंधन संबंधित प्रचार-प्रसार सामग्री अटल सेवा केन्द्रांे पर भी उपलब्ध कराई जाए। जिला कलक्टर शर्मा ने तेल-गैस मंे आपदा की स्थिति मंे प्रभावित होने वाले गांवांे की जानकारी भी स्थानीय जन प्रतिनिधियांे एवं कार्मिकांे को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्हांेने कहा कि आपातकालीन परिस्थिति से निपटने के लिए आमजन को वृहद स्तर पर जागरूक करने की जरूरत है।
इस दौरान यूआईटी चैयरमैन डा.प्रियंका चौधरी ने आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए गांवांे मंे जागरूकता के साथ विशेषकर विद्यालयांे मंे विद्यार्थियांे को इसकी जानकारी दी जाए। उन्हांेने कहा कि सबके सहयोग से ही आपदा प्रबंधन संभव है। उन्हांेने ग्रामीण इलाकांे मंे आपातकालीन स्थिति के बारे मंे जानकारी देने के लिए अलार्म सिस्टम भी स्थापित करने की जरूरत जताई। उन्हांेने कहा कि ग्राम स्तर पर बैठकांे का आयोजन कर ग्रामीणांे को इसके बारे मंे बताया जाए।
इस दौरान केयर्न इंडिया के सीएसआर हेड मनोज अग्रवाल ने कहा कि केयर्न इंडिया आपदा प्रबंधन को लेकर बेहद सजग एवं गंभीर है। उन्हांेने कहा कि केयर्न इंडिया बाड़मेर एवं जालोर जिले मंे कार्य कर रही है। उन्हांेने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए वर्ष 2010 मंे डिजास्टर मैनेंजमेट प्लान बनाया था। अब इसको वापिस अपडेट किया गया है। इसके जरिए संभावित समस्त प्रकार की आपदा से निपटने की कार्य योजना तैयार की गई है। उन्हांेने कहा कि आपदा प्रबंधन मंे आमजन की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रकार की गतिविधियां संचालित की जा रही है। उन्हांेने कहा कि केयर्न इंडिया की ओर से आपातकालीन मैनेजमंेट सिस्टम विकसित किया गया है। साथ ही नियमित रूप से पूर्वाभ्यास किया जाता है। उन्हांेने ग्राम स्तर पर नेहरू युवा केन्द्र के स्वयंसेवकांे, राष्ट्रीय सेवा योजना, एनसीसी, सिविल डिफेंस, होमगार्ड के जवानांे की मदद से जागरूकता अभियान चलाने एवं आपातकालीन स्थिति से निपटने का भरोसा दिलाया। उन्हांेने कहा कि कार्यशाला के दौरान मिले सुझावांे को डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान मंे शामिल किया जाएगा। कार्यशाला के दौरान केयर्न इंडिया के प्रतिनिधियांे ने आपदा प्रबंधन संबंधित विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि आपात स्थिति मंे तेल क्षेत्र के आसपास का एक किमी एवं गैस इलाके मंे 4.5 किमी का क्षेत्र खाली कराना पड़ता है। वहीं पाइप लाइन के समीप करीब एक किमी क्षेत्र मंे रहने वाले लोगांे को सुरक्षित स्थानांे पर पहुंचाना होता है। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर ओ.पी.बिश्नोई ने कहा कि समय-समय पर किए गए मार्क ड्रिल के दौरान विभागीय अधिकारियांे एवं एजेंसियांे का अच्छा सहयोग मिला है। उन्हांेने कहा कि मार्क ड्रिल के दौरान संबंधित विभागीय अधिकारियांे के घटनास्थल पर पहुंचने मंे लगे समय को भी नोट किया जाता है। ताकि आपातकालीन परिस्थिति मंे आपसी समन्वय एवं कमियांे को दूर करते हुए बेहतरीन कार्य किया जा सके। डिजास्टर मैनेजमंेट कार्यशाला के दौरान वायुसेना के वी.के.सिंह, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम.एल.नेहरा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामेश्वरलाल मेघवाल, उपखंड अधिकारी चेतनकुमार त्रिपाठी, नाथूसिंह राठौड, सीमा सुरक्षा बल के ए.के.तिवारी, विवेक ठाकुर समेत विभिन्न विभागीय अधिकारियांे ने अपने सुझाव रखते हुए आमजन सहभागिता एवं जागरूकता की जरूरत जताई। इस दौरान जिले के आला प्रशासनिक, सेना, वायुसेना, सीमा सुरक्षा बल समेत विभिन्न विभागीय अधिकारियांे ने आपदा प्रबंधन के बारे मंे अपने सुझाव रखे। साथ ही प्रोजेक्टर के जरिए आपदा प्रबंधन के बारे मंे उपस्थित संभागियांे को विस्तार से जानकारी दी गई।