जयपुर, 23 मई। कृषि मंत्री श्री प्रभुलाल सैनी ने कहा कि कोटा में 24 से 26 मई तक आयोजित होने वाले तीन दिवसीय ’ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट 2017 के प्रति देशी व विदेशी निवेशकों में भारी उत्साह है। अब तक 1000 करोड़ रूपये के 20 एमओयू प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं। इन प्रस्तावों में प्रसंस्करण, मूल्य संवद्र्धन, वेयर हाऊस और निजी कृषि उपज मंडियों आदि के प्रस्ताव शामिल हैं।
कृषि मंत्री श्री सैनी ने बताया कि कोटा ग्राम में 30 हजार किसान भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि ग्राम का शुभारंभ बुधवार को केन्द्रीय शहरी विकास, आवासन एवं सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री एम. वैंकया नायडू और मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे करेंगे।
श्री सैनी ने मंगलवार को कोटा ग्राम के आयोजन की अंतिम चरण की तैयारियों का अवलोकन करने के बाद यह जानकारी दी। उनके साथ कोटा-बूंदी सांसद श्री ओम बिड़ला, विधायक श्री भवानी सिंह राजावात, श्री प्रहलाद गुंजल, श्री हीरालाल नागर, श्री संदीप शर्मा, कोटा नगर निगम के महापौर श्री महेश विजय, कोटा नगर विकास न्याय के अध्यक्ष श्री आरके मेहता, प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी श्रीमती नीलकमल दरबारी, कृषि आयुक्त श्री विकास सीताराम भाले, सहित कई उच्चाधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
कृषि मंत्री श्री सैनी ने कहा कि ग्राम आयोजन का प्रमुख उद्देश्य प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे द्वारा 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के विजन को मूर्त रूप देने के लिए किया जा रहा है। राज्य स्तर पर जयपुर में नवम्बर, 2016 में ग्राम का भव्य आयोजन किया जा चुका है, जिसमें प्रदेश में 58 हजार से भी अधिक किसानों ने भाग लिया था। इसमें विभिन्न कंपनियों के साथ 4400 करोड़ रूपये के 38 एमओयू किए गए थे। जिनमें से लगभग 25 एमओयू पर काम शुरू हो चुका है और अन्य प्रक्रियाधीन हैं।
एशिया में पहली बार ऑलिव टी का उत्पादन राजस्थान में शुरू होगा
श्री सैनी ने बताया कि जयपुर में आयोजित ग्राम आयोजन में जैतून की चाय ‘ऑलिव टी‘ के लिए एमओयू किया गया था, जिस पर काम शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि एशिया में पहली बार ऑलिव टी का उत्पादन राजस्थान में शुरू होगा। साथ ही ऑलिव के कैप्सूल भी बनाये जायेंगे। देश की पहली जैतून रिफायनरी बीकानेर के लूणकरणसर में लगाई जा चुकी है। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए मैन्यूल एग्रीकल्चर से मैकेनाइज एग्रीकल्चर को अपनाना होगा।