आज समाज दिशाहीन है,भ्रमित है।आपसी खीचातानी ,मृत्युभोज और भी अनेक सामाजिक कुरीतियाँ है।इसिलिए लेखक ओमप्रकाश आजाद दु:खी रहते है और अपनी पीड़ा को लिखकर आजाद हो जाते है।अभिव्यक्ति मुक्ति देती है।साहित्य आपको मनुष्य बनाता है।साहित्य मनुष्यता की रक्षा करता है।साहित्य लोगो को जोड़ता है।लेखक आजाद के अनुसार साहित्य जीवन और समाज की व्यवस्था की व्याख्या है।
समाज की आर्थिक ,धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक व्यवस्थाएँ यदि लोगो के अनुरुप नही है तो उन पर संकट के बादल गहराने लगते है और समाज मे कुरीतियाँ का जन्म होने लगता है।यही कारण है कि *आजादी के लक्ष्यों को हासिल करने वाली राजनीति समाज की जरुरतों के अनुरुप तो ढली,किन्तु सामाजिक विकास और व्यवस्था के अनुरुप नही ढल पाई।*
लेखक ओमप्रकाश आजाद का जन्म बीकानेर जिले के नोखा तहसील के गाँव बादनूँ मे हुआ । इनका कार्यः कलम का इस्तेमाल समाज के हित के लिए करना, लेख लिखना व् पढ़ना-लिखना बहुत ही पसंद है। समय-समय पर ये नई-नई चीजों या कार्य करने के लिए अपने आप को प्रेरित करता रहते है। घूमना, ऐतिहासिक जगहों का पर जाना, उनके बारे में जानकारी हासिल करना इन्हें भाता है। सामाजिक बुराई के बारे लिखना सदैव इनका मकसद रहा है ! क्योंकि लेखन द्वारा ये सामाजिक क्रांति लाना चाहते है ! ये पिछले एक दशक से लेखन कार्य में संलग्न है। इनकी बचपन से ही गहरी साहित्यिक रुचि रही है।साहित्यिक रूचि इन्हें अपने शिक्षक ओमप्रकाश गोठवाल से मिली । गुरु के प्रति ये सदैव समर्पित रहे ।ये हिंदी माध्यम से पढ़े । आपने बीएड, एमए (समाजशास्त्र, हिन्दी, इतिहास)तक पढाई की है। आपने बीएड करने के बाद अनेक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओ मे ओम संस्कार स्कूल आॅव एज्यूकेशन, गीता देवी शिक्षण संस्थान, आनन्द मार्ग स्कूल मे अध्यापन कार्य भी किया । आपका बचपन से ही शिक्षक बनने का सपना है।वर्तमान मे आप शिक्षक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी मे जुटे हुए है। अक्षय तृतीया (आखातीज) पर प्रदेश मे होने वाले सैकड़ो बालविवाह रोकने के लिए, दीपावली को प्रदूषण मुक्त मनाने व तिलक होली मनाने , शराबमुक्त ग्राम बनाने; पाॅलीथीन मुक्त गाँव बनाने को लेकर वर्षभर अपने संगठनो के माध्यम से जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करते रहते है।ऐसे रचनात्मक आयोजन सामाजिक संगठनो के तौर पर होते रहने चाहिए। इन्होने समाज के स्वाभिमान को बढाने वाले शख्सियत पर एक पुस्तक भी लिखी। मात्र चौबीस वर्ष की आयु मे आपकी प्रथम पुस्तक विमोचित हुई।आपकी पुस्तक को पढकर कही ऐसा लगता ही नही कि आप नवोदित लेखक हो। ये साफ़ सुथरे खुले विचारो वाले इन्सान है।
लेखक आजाद को आजादी शब्द से इतना प्यार हुआ कि इन्होने अपना उपनाम आजाद रख लिया ।ये आज साहित्यिक बिरादरी मे आजाद नाम से जाने जाते है।कवि शिव ओम अम्बर की इस पंक्ति का अनायास स्मरण हो जाता है कि-
*या बदचलन हवाओ का रुख मोड़ देगे हम*
*या खुद को वाणीपुत्र कहना छोड़ देगे हम*
*और जिस दिन भी हिचकिचाएगे लिखने से हकीकत;*
*कागज को फाड़ देगे, कलम को तोड़ देगे हम*
अब तक लेखक ओमप्रकाश आजाद की एक पुस्तक प्रकाशित हुई- *अपराजित योध्दा : शहीद कालूराम बादनूँ* ।इसके अलावा इनकी तीन अप्रकाशित पुस्तक भी आगामी दिनों मे प्रकाशित होगी । आपकी अप्रकाशित पुस्तके-
*1.मेघवाल केसरी*
*2.माण खातर कालूराम जूझयौ(राजस्थानी कविता संग्रह )*
*3.आओ ,कालूराम को नमन करे(कविता संग्रह)*
स्वयं लेखक आजाद की यह पंक्ति युवाओ को आगे बढने के लिए प्रेरित करती है-
*कुछ कर गुजरने के लिए मौसम नही मन चाहिए*
*साधन सभी जुट जाएगे बस संकल्प का धन चाहिए*
लेखक आजाद ने शहीद कालूराम युवा मंडल बादनूँ को अपने पैरो पर खड़ा कर उसके माध्यम से महापुरुषो की जयन्ती मनाने व अनेक अवसरो पर संगोष्ठियाँ को आयोजित करने के लिए प्रेरित किया। पर्यावरण संरक्षण को लेकर 14 अगस्त 2015 को 111 पौधे लगवाने के लिए युवा मंडल को प्रेरित किया। कुल मिलाकर देखा जाए तो ओमप्रकाश आजाद शहीद कालूराम युवा मंडल के थिंक टेक माने जाते है। ओमप्रकाश आजाद का शौक कार्यक्रमों मे मंच संचालन करना भी रहा है। आजाद के नेतृत्व मे जून 2007 मे बाबा साहब डाॅ भीमराव अम्बेडकर की विचारधारा को जन जन पहुँचाने के लिए भीम जागरण का आयोजन भी किया।
सन् 2009 से 2011 तक शहीद कालूराम युवा मंडल बादनूँ के अध्यक्ष भी रहे। अप्रेल 2013 से 2015 तक नेहरु युवा केन्द्र बीकानेर के ब्लाॅक नोखा के एनवाईसी(राष्ट्रीय युवा कोर) भी रहे।वर्तमान मे ओमप्रकाश आजाद अनेक संगठनो से जुड़े हुए है जिनमे शहीद कालूराम युवा मंडल के संयोजक पद पर, डाॅ अम्बेडकर स्टूडेन्ट फ्रन्ट आॅफ इंडिया बीकानेर के जिला उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत है।
ओमप्रकाश आजाद एक बेहतरीन उद्घोषक भी है।नेहरु युवा केन्द्र अम्बाला (हरियाणा) व नेहरु युवा केन्द्र बीकानेर ने इनको सर्वश्रेष्ठ वक्ता के रुप मे पुरस्कृत कर चुका है।
कालूराम जी इंदलिया के जीवन चरित्र का साक्षात् उसके बाहर के समाज को उधेड़ने, पहचानने के लिए चुनौती है।ओमप्रकाश आजाद की सुधारवादी विचारो मे वह सामाजिक आलोचना निहित है जो खोखली मर्यादाओ पर टिके समाज की असलियत समझने के लिए प्रतिबध्द है।