– दीपक सेवदा
धोरीमन्ना- इन्सान लकड़ी पर सुन्दर नक्काशीदार कलाकृति बना सकता है। पत्थर को भी तराश कर किसी की हमशक्ल मूर्ति भी बना सकता है। तथा मानव के नए मस्तिष्क के रूप में कम्प्यूटर का भी अविष्कार कर लिया है। लेकिन एक छोटा सा बया पक्षी ऐसी कारीगरी से अपना घोंसला बनाता है जिसको चाहकर भी मनुष्य उसके समान घोंसला नहीं बना सकता है।
यूं बनाती है बया अपना घोंसला
सर्वप्रथम बया अपना घोंसला बनाने के लिए किसी ऊंचे वृक्ष पर टहनियां में घोंसला बनाने के लिए स्थान का चयन करती है तथा बाद में डाब घास के तिनको को लेकर उस टहनी से गूंथकर घोंसले का निर्माण दो भागो में शुरू करती है। जब गोलाकार में आधे घोंसले का निर्माण हो जाता है तो उस गोलाकार घोंसले के आधे भाग को नीचे से रोककर अपने लिए अंडे देने व बच्चो के बैठने लायक स्थान बना देती है उसके बाद आधे भाग को यह अपनी कलाकारी के तहत नीचे तक लगभग फिटभर लम्बी एक नाळ बनाती है, जिससे वह अपने बैठने वाले स्थान तक पहुंचती है।
सबसे सुरक्षित होता है बया का घोंसला
अन्य पक्षी इतनी होशियारी से घोंसला नहीं बना सकते है तथा अधिकांश पक्षियो के अंडे या बच्चे अन्य शिकारी पक्षी या सांप आदि खा जाते है, लेकिन बया पक्षी इतनी होशियारी से घोंसला बनाती है कि उसके अंडे या बच्चो को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।