*खान एवं गोपालन मंत्री ने दिलाया भरोसा*
*पशुधन संरक्षण के लिए राज्य सरकार हर स्तर पर मदद के लिए कटिबद्ध- जैन*
बाड़मेर, 5 सितम्बर। खान एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि राज्य सरकार सदैव गौधन संरक्षण के लिए हर समय सहयोग देने के लिए तत्पर है। उन्होेने कहा कि गोपालन विभाग के माध्यम से गौषालाओं को अनुदान देने में किसी प्रकार की कमी नहीं रहने दी जाएगी।
गोपालन मंत्री रविवार को बाड़मेर में नन्दी गौशाला में आयोजित कार्यक्रम के दौरान गौशाला संचालकों को
संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान में अकाल के हालात में सरकार पशुधन के सरंक्षण को तत्पर हैं। गोपालन मंत्री भाया ने जनप्रतिनिधियों से आहवान किया कि वे पंचायत समिति स्तर पर नन्दी गौषाला संचालन करने के लिए क्षेत्र के बड़े गौसंचालकों से आवेदन कराएं ताकि नन्दी गौषालाओं की स्वीकृति की जा सके।
उन्होंने कहा कि पशुधन संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने गौशालाओं में छोटे पषुधन के लिए 16 से बढ़ाकर 20 रुपये व बड़े पशुधन के लिए 32 से बढ़ाकर 40 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से अनुदान स्वीकृत किया है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में गौशालाओं में छह माह से बढ़ाकर 9 माह तक अनुदान करने की प्रक्रिया राज्य स्तर पर प्रक्रियाधीन है ।
गोपालन मंत्री ने कहा कि गौषाला संचालकों की मांग को देखते हुए अनुदान प्रक्रिया में सरलीकरण किया गया है। वहीं धर्मकांटे की पर्ची की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही बिल वाउचर प्रक्रिया को भी सरलीकरण कर चार्टेड एकाउंटेंट के माध्यम से लेखा प्रस्तुत करने की छूट दी है, जिससे भी गौषाला संचालको को राहत मिली है।
गोपालन मंत्री ने बाड़मेर के गौषाला संचालकों को विष्वास दिलाया कि उनके भूमि आवंटन के मामले में प्रषासन से सहयोग करवाकर उनका निस्तारण किया जाएगा। वहीं निरीक्षण के माध्यम से भी किसी प्रकार की तकलीफ नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा की नन्दी गौषालाओं के संचालन के लिए गौषाला शुरू करते ही नौ माह का अनुदान चालू कर दिया जाएगा। उन्हांेने गोपालन विभाग की गोपालन विकास योजना की चर्चा करते हुए बताया कि इसके संचालन के लिए भी आवेदन करने की तिथि 31 दिसम्बर तक बढ़ा दी है। उन्होंने बताया कि इस योजना में गौषाला संचालक को टीन सेड निर्माण के लिए 10 लाख रूपये के अनुदान देने का प्रावधान है। इसके लिए गोपालन विभाग में गौषाला का रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है।
गोपालन मंत्री ने कहा गौषाला संचालकों को हर समय सहयोग देने का भरोसा दिलाया एवं कहा कि जनवरी से मार्च तक का अनुदान का भुगतान गौषालाओं को कर दिया है एवं अप्रेल से जून तक का शीघ्र ही करवा दिया जाएगा। उन्होंने गौषाला संचालकों को गौमाता की सेवा पूर्ण ईमानदारी के साथ करने का आहवान किया एवं कहा कि वे बधाई के पात्र है कि वे गौधन संरक्षण के लिए कार्य कर रहे है।
जैन ने कहा कि राज्य सरकार पशुपालकों के सहयोग के लिए सदैव कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अकाल की स्थिति में पूर्व में भी बहुतायत मात्रा में पशु शिविर एवं चारा डिपो खोलकर पशुधन का संरक्षण किया। वहीं गौशालाओं के माध्यम से भी पशु धन का संरक्षण किया गया। उन्होंने कहा कि इस बार भी अनावृष्टि की स्थिति को देखते हुए सरकार हर स्तर पर पशुधन संरक्षण के लिए पूरा सहयोग करेगी एवं इसमें किसी प्रकार की धन की कमी नहीं आने देगी। उन्होंने कहा कि पूर्व के कार्यकाल में मुख्यमंत्री ने गोपालन विभाग का अलग से गठन कर गौशाला संचालकों को तोहफा दिया है। उन्होंने गौशाला संचालकों को विश्वास दिलाया कि उनकी हर स्तर पर गौ सेवा के लिए मदद की जाएगी।
इस मौके पर विधायक मेवाराम जैन ने कहा कि बाड़मेर के पषु बाहुल्य जिले को देखते हुए एवं यहा अधिकांषतः अकाल की स्थिति को देखते हुए पषुधन संरक्षण के लिए विषेष रियायत देने की बात कही। उन्होंने कहा कि पषुपालकों को इस बार भी उनके पषुधन के संरक्षण के लिए हर संभव सहयोग दिया जाए।
इस दौरान विधायक अमीन खान ने कहा कि राज्य में पूर्व में भी सरकार ने पशुओं का सरंक्षण किया है। उन्होंने सीधे पशुपालको को अनुदान देने की जरूरत जताई।विधायक पदमा राम मेघवाल ने गोपालन मंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार गौधन संरक्षण के लिए हर स्तर पर पूरा सहयोग दे रही है।
नगर परिषद सभापति दीपक माली ने अतिथियों का स्वागत करते हुए गौषाला की गतिविधियों पर प्रकाष डाला। उन्होंने गौधन संरक्षण के अनुदान में बढ़ोतरी करने की भी आवष्यकता जताई। नगर परिषद आयुक्त दलीप पूनिया ने आभार जताया।
कार्यक्रम में जिला कलेक्टर लोकबंधु, मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहन दान रतनू, अतिरिक्त जिला कलेक्टर ओम प्रकाश विश्नोई, समाज सेवी फतेह खान, खरथाराम चौधरी, गिरधर सिंह समेत बड़ी संख्या में जन प्रतिनिधि, गोशाला प्रतिनिधि एवं आमजन मौजूद रहा।
इससे पूर्व गोपालन मंत्री ने गौशाला में गायों को अपने हाथों से गुड़ खिलाया एवं पौधरोपण किया।
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