जसोलधाम में गाजे बाजे के साथ देव प्रतिष्ठा को निकली कलश यात्रा
108 बालिकाओं के सिर पर कलश व मंगल गीतों के साथ बना धर्ममय माहौल
बालोतरा- जसोल धाम में नवनिर्मित श्री सवाईसिंहजी, श्री लालबन्नासा, श्री बायोसा, श्री खेतलाजी व श्री भेरूजी के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के पांच दिवसीय कार्यक्रम रविवार को कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ। श्री नर्बदेश्वर महादेव मन्दिर महंत श्री संध्यापूरी महाराज व वरीया मठ श्री गणेश पूरी महाराज के पावन सान्निध्य में गाजे बाजे के साथ निकली कलश यात्रा में 108 बालिकाएं कलश लेकर शामिल हुई। मन्दिर प्रबंधन कमेटी सदस्य फतेहसिंह ने बताया कि श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान जसोल धाम की और से पांच दिवसीय देव प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव प्रारंभ हुआ।
सुबह 10 बजे कलश यात्रा श्री राणी भटियाणी मन्दिर से रवाना होकर, अरिहंत विधा मन्दिर, होली चौक, तालाब रोड होते हुए श्री नर्बदेश्वर तालाब पहुंची। जंहा कलश पूजन के साथ तालाब स्थित प्राचीन बेरी के पवित्र जल को कलश में भरा गया। उसके बाद मंगल गीतों के साथ कलश यात्रा मन्दिर के लिए रवाना हुई। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में जयकारे लगाते हुए ग्राम वासी सम्मिलित हुए। कलश यात्रा जिस मार्ग से गुजरी वहा पुष्प वर्षा कर स्वागत किया । कलश यात्रा नर्बदेश्वर तालाब से होली चौक, बड़ला चौक, प्रजापतों का वास, मालियों का वास, आजाद चौक, मुख्य बस स्टैंड होते हुए पुनः मन्दिर प्रांगण पहुंची जंहा देव प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ हुआ। और शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से मन्दिर संस्थान अध्यक्ष रावल किशनसिंह जसोल के हाथों मण्डप पूजा करते हुए कलश स्थापना चारों वेदो के ज्ञाता दक्षिण भारत के प्रमुख पण्डितो द्वारा करवाई गई । कमेटी सदस्य फ़तेहसिंह ने बताया कि पंडित मनोहर लाल अवस्थी द्वारा कन्या पूजन करवाया गया। जिसमें कन्या पूजन व भोजन प्रसादी का लाभ जय हनुमान फैशन प्रा. लि., श्री रामदेव कॉटसयन, प्रकाश बाघमार, खूबचन्द खत्री व काशीराम राठी परिवार ने लिया।
वही दूसरी ओर देव प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर चल रही रामकथा के पांचवे दिन पं. अभिषेक जोशी ने प्रभु श्री राम व जानकी के विवाह का प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मानव मात्र को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। क्योंकि यदि जल से भरे एक घड़े में हम एक-एक कर के पत्थर डालते जाते है तो धीरे-धीरे वह घड़ा कंकड़ से भर जाता है तथा जल से रिक्त हो जाता है। वैसे ही यदि हम अपने शरीर रूपी घड़े में, अंधकार रूपी कंकड़ ज्यादा डालेंगे तो हमारा शरीर शीलगुण रूपी पानी से रिक्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रभु श्री राम की कथा पूरी तरह से टूट चुके जीण-शीर्ण हो चुके मनुष्य को पुनः उसके वास्तविक स्वरूप जैसा पवित्र कर देती है। जब कोई भक्त याद करता है तब प्रभु अवतार लेते हैं जिसका अंत करना कठिन होता है। ऐसे ही ध्यान से रावण को मारने के लिए प्रभु ने अवतार लिया। रामकथा का प्रसारण केवल ऑनलाइन माध्यम से किया जा रहा है। भक्त मन्दिर के सोशल साइट्स फ़ेसबुक, यूट्यूब के साथ एसएम केबल व डीसीएन केबल टीवी नेटर्वक के जरिए इसका लाभ ले सकते हैं।
ये रहे मौजूद-
हरिशचन्द्रसिंह जसोल, मांगूसिंह जागसा, गुलाबसिंह डंडाली, लालसिंह असाड़ा, हनुवंत सिंह नोसर, देवाराम माली, पूंजराज सिंह वरिया, नरेन्द्र सिंह जसोल, मनोज मेवाड़ा, देवीसिंह कितपाला, राजूसिंह उमरलाई, भंवरलाल मेघवाल, निर्मल प्रजापत, राजेश भाई पंजाबी, महेंद्र सिंह गोलिया, मुलतान माली, जितेंद्र मेवाड़ा, पवन राठी, गजेन्द्रसिंह सहित बड़ी संख्या श्रद्धालु मौजूद थे।