धर्म करने की प्रेरणा हमें गुरु भगवंतों से ही मिलती हैं जो हमे परमात्मा के उपदेश सुनाते हैं अतः पूण्य को प्राप्त करने में प्रमात्त्व ही मुख्य हैं ये उदबोधन खतरगच्छधिपति आचार्य मणिप्रभ सूरीश्वर जी महाराज ने शहर के नवनिर्मित श्री तपागच्छ आराधना भवन में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए बताया । सूरदास जी उदाहरण से स्पष्ठ होता है कि जीवन में धर्म व् श्रद्धा का बड़ा महत्व है इसके सहारे ही जीवन में धार्मिक कार्य को करने की प्रेरणा एवं सामाजिक सरोकार की भावना जागृत होती हैं । इससे पूर्व जैन सराय में आचार्य के आगमन पर राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी , नगरपरिषद प्रतिपक्ष नेता मदन चौपड़ा , ओसवाल समाज अध्यक्ष शांतिलाल डागा , ओंम बांठिया , गजेन्द्र संकलेचा , गणपत पटवारी , , अशोक चौपड़ा , मदनलाल सिंघवी , धर्मेश चौपड़ा , , मोहनराज चौपड़ा सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गुरुदेव का स्वागत किया
धार्मिक कार्य को करने की प्रेरणा श्रद्धा से मिलती – आचार्य
धार्मिक कार्य को करने की प्रेरणा श्रद्धा से मिलती – आचार्य
बालोतरा – जीवन में मनुष्य को जो कुछ भी प्राप्त होता हैं उसमें उसका पुरुषार्थ व् पूण्य कार्य करता हैं और पुण्य अर्जित धर्म के प्रभाव से ही किया जाता हैं