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धोरीमन्ना रेस्क्यू सेंटर में नहीं पिंजरे की व्यवस्था , जिस्म जला देने वाली गर्मी में दम घुटकर मर रहे वन्यजीव , इधर आदेश के पन्द्रह दिन बाद मिला रेस्क्यू वाहन

Thanaram Mali
Last updated: June 8, 2017 4:23 am
Thanaram Mali
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धोरीमन्ना रेस्क्यू सेंटर में नहीं पिंजरे की व्यवस्था , जिस्म जला देने वाली गर्मी में दम घुटकर मर रहे वन्यजीव , इधर आदेश के पन्द्रह दिन बाद मिला रेस्क्यू वाहन ,
झोपड़े में संचालित रेस्क्यू सेंटर में बंद तीन हरिणों ने तोड़ा दम
धोरीमन्ना। बाड़मेर जिले का वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्र धोरीमन्ना जो  जिले का एकमात्र आखेट निषेध क्षेत्र भी  है। यहां पर वन विभाग का रेस्क्यू सेंटर पिछले कई दशकों से झोंपड़ी में संचालित हो रहा है। जिम्मेदारों की उदासीनता व लापरवाही के चलते इस  सेंटर पर तो आज तक घायल वन्यजीवों  को रखने के लिए अलग से न तो कोई पिंजरा बनाया हुआ है और ही कुछ और व्यवस्था है।  विभाग ने मात्र एक कच्ची झोपड़ी बनाकर से सेंटर की औपचारिकता पूरी कर ली है। यहां पर घायल हिरण को लाकर पटक दिया जाता है और फिर वेटनरी हॉस्पिटल से पशु चिकित्सक को बुलाकर पट्टी वगैरा करवाकर बाहर से कुंडी लगा दी जाती । इस पांच गुणा पांच फीट की झोंपड़ी में वन्यजीव दम घुट कर मर रहे है इसके विपरीत वन विभाग हाथ पर  हाथ धरे बैठा है । मंगलवार रात को रेस्क्यू सेंटर के झोपड़े में बंद तीन हिरणों का दम घुटने से मौत हो गयी । इससे पहले भी इसी तरह की घटनाएं हुई इसके बावजूद भी वन विभाग के पिंजरे का कोई प्रबंध नहीं किया ।  इसी तरह यहां पर दर्जनों वन्यजीव अकाल मौत के ग्रास बन जाते है और वन विभाग के कार्मिक रेस्क्यू सेंटर के पास ही इन्हें दफना कर इतिश्री कर लेते है।

*पिंजरे की क्यों नहीं व्यवस्था  रेक्स्यु सेंटर में घायल जीवों रखने के लिए छायादार व हवादार पिंजरे की जरूरत है। ताकि घायल जीवों का दम न घुटे । धोरीमन्ना रेंज के झोपड़े में कई बार दम घुटने के मौत हुई इसके बावजूद भी वन विभाग ने कोई सबक नहीं लिया ।

धोरीमन्ना वन विभाग के अंतर्गत 62 पंचायतों के 400 गांव

धोरीमन्ना वन विभाग में 4 पंचायत समिति धोरीमन्ना , गुड़ामालानी , सेड़वा व धनाऊ है । इन चारों समिति के 62 पंचायतों के लगभग 400 गांव वन विभाग के अंतर्गत आते है। क्षेत्र वन्य जीव बाहुल्य होने के कारण प्रतिदिन यहां हिरण शिकार व अन्य जीवों के घायल होने की घटनाएं होती रहती है। जिनको स्थानीय ग्रामीण वन विभाग को सहयोग करके के रेस्क्यू सेंटर लाते है। इतने बड़े क्षेत्र के घायल वन्य जीवों को रखने के लिए महज 5 गुणा 5 फ़ीट की झोंपड़ी के सिवाय कुछ नहीं है।

फॉरेस्ट रेंज को मिला रेस्क्यू वाहन धोरीमन्ना वन विभाग रेंज को घायल हिरणों के रेस्क्यू के लिए बुधवार को वाहन भी तैनात कर दिया । इससे पहले यहां पर घायल हरिणों के रेस्क्यू के लिए निजी वाहनों का उपयोग होता था। रेस्क्यू वाहन बाड़मेर रेंज से भेजा गया है।

पिंजरे की हो व्यवस्था।

धोरीमन्ना में वन विभाग का रेस्क्यू सेंटर नाम मात्र का है। झोपड़े में दम घुटकर वन्यजीव दम तोड़ रहे है। वन विभाग को छायादार जगह में पिंजरा लगाकर घायल हरिणों को रखने की व्यवस्था करनी चाहिए ।  *शंकर बिश्नोई  , वन्यजीव प्रेमी*

पिंजरे के डीएफओ को पत्र लिख रहा हूँ।

” धोरीमन्ना के वन विभाग में घायल वन्य जीवों के पिंजरे की व्यवस्था के लिए डीएफओ को पत्र लिख रहा हूं । रेंज को वन विभाग का रेस्क्यू वाहन भी मिला है। इससे पहले निजी वाहनों से घायलों को लाकर रेस्क्यू करते थे  – *मनोहर खां , क्षेत्रीय वन अधिकारी

फोटो : धोरीमन्ना . उपखण्ड मुख्यालय स्थित वन विभाग का रेस्क्यू सेंटर जो झोपड़ी में संचालित हो रहा है। व दम घुटने से मरे हरिणों को वन विभाग की गाड़ी में डाल कर  रेस्क्यू करवाने ले जाते हुए ।

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