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नाकोड़ा स्थित राणी रुपादे मंदिर , लूम्बनाथ धूणा व छतरियों पर हुए भव्य जागरण )विरासत को अक्षुण बनाये रखे – रावल किशन सिंह जसोल (मेवानगर मे हुआ ऐतिहासिक छतरियों का जीर्णोद्धार

Thanaram Mali
Last updated: August 23, 2017 3:21 pm
Thanaram Mali
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 जसोल – इतिहास हो ,चाहे संस्कृति हो या संस्कार हो या धर्म – आध्यात्म पर आधारित सद मार्ग हो – ये सब हमारे पुरखों की सदियों पुरानी विरासत है । इस विरासत को आधुनिकता के संक्रमण काल मे बनाये रखने का प्रयत्न हम सबको करते रहना चाहिए ।

विरासत के रूप मे जो श्रेष्ठ परंपराए है , जो हमारे भारतीय जीवन दर्शन का मूल मंत्र है, जिसकी पहचान से भारतीय आध्यात्मिकता, संस्कृति एवं इतिहास जाना जाता है , हमारे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है कि इन्ही श्रेष्ठ परम्पराओं की बदौलत भारत ज्ञान , धर्म एवं आध्यात्म का विश्व गुरु माना जाता था ।
भारतीय दर्शन प्रत्येक प्राणी को कल्याण की ओर ले जाने की प्रेरणा देता है और उसी प्रेरणा का प्रकाश पूंज इस मालाणी की धरती , विशेषकर मेवानगर व आस पास के क्षेत्र मे राणी रूपादे , रावल मल्लीनाथ , मेघधारू एवं संत लूम्बनाथ जैसे मनीषियों ने सदियों पूर्व बताया था तथा धर्म नीति व नैतिक आदर्शों पर चलने की न केवल प्रेरणा दी बल्कि छतीस कौम को उस ओर अग्रसर करने का भागीरथ प्रयत्न किया तथा हर जाति व समाज मे भाईचारा मेल मिलाप स्थापित करते हुए  सामाजिक विकृतियों को तोड़ने का प्रयत्न किया जिसके कारण ये संत महात्मा जन जन के हृदय मे श्रद्धा पूर्वक स्मरण किए जाते है – – ये उद्गार पूर्व राजनयिक एवं श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान के अध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल ने मेवानगर मे आयोजित चार ऐतिहासिक छतरियो के जीर्णोद्धार कार्यक्रम मे सैकड़ो व्यक्तियों को संबोधित करते हुए ।
रावल किशन सिंह जसोल ने राणी रूपादे व रावल मल्लीनाथ के आध्यात्मिक उद्हरणों का उदाहरण देते हुए उनके बताए मार्ग पर चलकर आत्म कल्याण की ओर चलने का आहवान किया

कार्यक्रम मे पंचदश अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय मंत्री कनाना महंत परशुराम गिरि जी महाराज ने कार्यक्रम मे अपने आशीर्वचन देते हुए कहा कि आज का दिवस एक तरह से संकल्प दिवस है छतरियों का जीर्णोद्धार भी एक संकल्प के पूर्ण होने का अवसर है इस अवसर पर हम सभी को भी संकल्प लेना चाहिए कि हमारा जीवन धर्म से ओतप्रोत हो न्याय ,धर्म एवं नीति पर चलने का संकल्प लेना चाहिए ताकि हम धर्म की पुनः स्थापना कर न सिर्फ अपने घर, परिवार ,अपने समाज को हर दृष्टिकोण से सबल बना सके बल्कि संस्कृति की रक्षा करते हुए भारत के गौरवमय वैभव को पुनः लौटा सके ।
परेउ मठ के महंत ओंकार भारती ने आयोजन को संबोधित करते हुए कहा कि हमे आपस मे समरसता व समभाव का भाव जागृत करना चाहिए तथा प्राणी मात्र के प्रति दया स्नेह प्रेम व उदारता का भाव रखते हुए उस मार्ग की ओर जाना चाहिए जिस मार्ग पर राणी रूपादे व रावल मल्लीनाथ चलते हुए दलितो व गरीबो को भी गले लगाया था । उनके विशाल हृदय व दृष्टिकोण से भी वे आज भी जन जन के आराध्य बने हुए है ।
इस आयोजन को सिणली मठ महंत शंकर भारती , जैन मुनि प्रधूम्न विजय आचार्य महाराज , टापरा महंत शंभुवन , बुड़ीवाड़ा के रामस्नेही संत काशीराम महाराज , सिणधरी रावल विक्रम सिंह तथा बाहरठ मेघूदान झनकली आदि ने संबोधित किया ।    

कार्यक्रम के आरंभ मे संत महात्माओ के सानिध्य मे रावल किशन सिंह जसोल व हरिश्चंद्र सिंह जसोल ने गणेश पूजन के साथ साथ राणी रूपादे व रावल मल्लीनाथ की तस्वीर की विधिवत पूजा अर्चना की तथा परंपरानुसार दीप प्रज्ज्वलित किये गये ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए मंच संचालक चन्दन सिंह चांदेसरा ने कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए आयोजन पर प्रकाश डाला तथा चारों छतरियो क्रमश रावल दूदा , रावल तेजसी , रावल जगमाल द्वितीय एवं रावल भारमल की मूर्तियो की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का परिचय देते हुए इसे इतिहास , त्याग , बलिदान तथा संस्कृति की विरासत का पुनः निर्माण करवाकर मूर्तिया स्थापित करने के इस दिवस को ऐतिहासिक दिवस बताया ।
इससे पूर्व रात्रि मे मेवानगर – नाकोड़ा स्थित राणी रूपादे के मंदिर , स्वामी लूम्बनाथ का धूणा एवं छतरियो पर जागरण आयोजित किये गये जिसमे सुप्रसिद्ध भजन गायक महेशाराम मेघवाल, सांवलराम मेघवाल व समरथाराम भील एंड पार्टी ने शानदार भजनो की प्रस्तुतियाँ दी ।
दोपहर 11.30 बजे से 12 बजे के बीच रावल किशन सिंह जसोल , हरिश्चंद्र सिंह जसोल , रावल विक्रम सिंह सिणधरी ने शुभ महूर्त मे चारो छतरियो मे क्रमश रावल दूदा , रावल तेजसी , रावल जगमाल द्वितीय एवं रावल भारमल की नव निर्मित मूर्तियाँ साधु संतों के सनिध्य मे जोधपुर के पंडित अभिषेक महाराज द्वारा मंत्रोचार एवं हवन यज्ञ व विधिविधान से स्थापित किया ।
कार्यक्रम मे रावल किशन सिंह जसोल , रावल विक्रम सिंह सिणधरी , हरिशचन्द्र सिंह जसोल, गजेंद्र सिंह जसोल , डूंगर सिंह जसोल , फतेह सिंह जसोल द्वारा साधु संतों का भेंट पूजा शॉल आदि अर्पित करते हुए स्वागत किया ।
इस अवसर पर छतरियो के निर्माण को दक्षता पूर्वक कम से कम समय मे निर्माण करने के लिए देवी सिंह गुड़ानाल के मार्गदर्शन मे कार्य कर रहे कारीगरों अमराराम , भूराराम , सोमाराम , जीवाराम s, वागाराम,जीवाराम p , सोमाराम n , मानाराम , माणकराम , जोताराम तथा गोबाराम को सम्मानित किया गया ।
इस कार्यक्रम मे इस क्षेत्र के वरिष्ठ एवं सम्माननीय व्यक्तियों क्रमश विशन सिंह मेवानगर , गुलाब सिंह दाखाँ , गजे सिंह नौसर , सूजन सिंह नौसर , गुमान सिंह डंडाली , शंभू सिंह इंद्राणा , विजय सिंह टापरा , भरत मुनि गुरासा को भी सम्मानित किया गया ।
इस आयोजन मे मालाणी क्षेत्र के अलावा बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर व जालोर जिले के सैकड़ो की संख्या मे लोगों ने भाग लिया ।          

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