बालविवाह आयोजित होने पर बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 के तहत बाराती व घराती भी होंगे दण्डित
जयपुर, 20 अप्रेल। अक्षय तृतीया (28 अप्रेल) एवं पीपल पूर्णिमा (10 मई) को होने वाले बाल विवाहों को प्रभावी ढंग से रोकने एवं जन समुदाय को समझाइश के लिए प्रभावी कदम उठाये गये हैं।
चूरू जिले में बाल विवाह के विरुद्ध वातावरण तैयार करने के लिए विशेष जन सहभागिता अभियान चलाया जायेगा। बाल विवाह आयोजित होने पर बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 के तहत संबंधित सभी व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जायेगी। जिला कलेक्टर श्री ललित कुमार ने कहा कि बाल विवाह सामाजिक बुराई है जिसे सिर्फ कानूनी उपायों से नहीं मिटाया जा सकता है, इसके लिए हमें सामाजिक सोच में परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने कहा कि अभियान के तहत विद्यालयों एवं सार्वजनिक स्थलों पर शिविर आयोजित कर जिला प्रशासन, जन प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों एवं ग्राम स्तर तक कार्यरत अधिकारियों एवं कार्मिकों का सहयोग लेकर चेतना जागृत की जायेगी। जिला कलक्टर ने कहा कि जागरूकता अभियान के तहत जिला व ब्लॉक स्तर पर सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन, सहयोगिनी एवं स्वयंसेवी संगठनों को लगाया जायेगा जो आमजन में बाल विवाह के विरुद्ध समझाइश देकर जन जागृति पैदा करेंगे।
उन्होंने कहा है कि बाल विवाह संज्ञेय एवं गैर जमानतीय अपराध है, जिसकी पुख्ता सूचना मिलने पर बिना किसी औपचारिक रिपोर्ट के मुकदमा दर्ज करना एवं त्वरित कानूनी कार्रवाई करना पुलिस का कर्तव्य है। बाल विवाह आयोजन संबंधी जानकारी मिलने पर प्रत्येक नागरिक का विधिक कर्तव्य है कि वे ग्राम सरपंच, ग्राम सचिव, पटवारी, प्रधानाध्यापक, जन प्रतिनिधि एवं सरकारी कार्मिकों को त्वरित सूचना देवें ताकि संबंधित के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सके।
जिला कलेक्टर ने बताया कि जिले में बाल विवाहों की प्रभावी रोकथाम के लिए जिला मुख्यालय से ग्राम स्तर तक बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत कानूनों की जानकारी देने के लिए जन-जन तक संदेश पहुंचाया जायेगा। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत बाल विवाहों में सहयोग एवं भाग लेने वाले पण्डित, टैण्ट वाला, हलवाई, बैण्ड बाजे तथा बाराती व घराती सभी लोग गैर जमानतीय अपराध के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी होंगे।