मां शक्ति के जयकारों से गूंज उठती है सरहद
सरहद की रखवाली कर रहे बीएसएफ के जवान सुबह और शाम के समय बीओपी में बने मंदिर में देवी की आरती करते है। इसके बाद जवान मां शक्ति के जयकारे लगाते है। जिससे पूरी सरहद जयकारों से गूंज उठती है। इतना ही नहीं जवान आरती के बाद प्रसाद का वितरण करते है। आरती के समय जवान अपनी दिनभर की थकान भूल जाते है और अपने आप को धन्य महसूस करते है। आरती खत्म होने के बाद जवान मां शक्ति का नाम लेकर अपने कर्तव्य की और निकल पड़ते है। देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात सीमा सुरक्षा बल दुश्मन पर सर्वदा विजय के लिये प्रतिदिन शक्ति की आराधना करते हैं इसी शक्ति की उपासना के लिये बाड़मेर जिले से लगती भारत पाक सरहद की हर सीमा चैकियों पर मंदिर बने हुए हैं सीमा सुरक्षा के लिये ड्यूटी पर जाते वक्त हर धर्म के बीएसएफ के जवान सीमा चौकियों में स्थित देवी के मंदिर में शीश नवा कर आगे बढ़ते हैं इन देवी के मंदिरों के प्रति जवानों की अटूट श्रृद्वा बनी हुई है। देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे बीएसएफ के जवान भिन्न भिन्न धर्मों के हैं लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं पर न तो गुरूद्वारा हैं न चर्च और न ही मस्जिद, सिर्फ हैं तो शक्ति के परिचायक के रूप में देवी के मंदिर जहां पर जवान शक्ति प्राप्ति के लिये देवी की उपासना करते है।
सरहद की रखवाली कर रहे बीएसएफ के जवान सुबह और शाम के समय बीओपी में बने मंदिर में देवी की आरती करते है। इसके बाद जवान मां शक्ति के जयकारे लगाते है। जिससे पूरी सरहद जयकारों से गूंज उठती है। इतना ही नहीं जवान आरती के बाद प्रसाद का वितरण करते है। आरती के समय जवान अपनी दिनभर की थकान भूल जाते है और अपने आप को धन्य महसूस करते है। आरती खत्म होने के बाद जवान मां शक्ति का नाम लेकर अपने कर्तव्य की और निकल पड़ते है। देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात सीमा सुरक्षा बल दुश्मन पर सर्वदा विजय के लिये प्रतिदिन शक्ति की आराधना करते हैं इसी शक्ति की उपासना के लिये बाड़मेर जिले से लगती भारत पाक सरहद की हर सीमा चैकियों पर मंदिर बने हुए हैं सीमा सुरक्षा के लिये ड्यूटी पर जाते वक्त हर धर्म के बीएसएफ के जवान सीमा चौकियों में स्थित देवी के मंदिर में शीश नवा कर आगे बढ़ते हैं इन देवी के मंदिरों के प्रति जवानों की अटूट श्रृद्वा बनी हुई है। देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे बीएसएफ के जवान भिन्न भिन्न धर्मों के हैं लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं पर न तो गुरूद्वारा हैं न चर्च और न ही मस्जिद, सिर्फ हैं तो शक्ति के परिचायक के रूप में देवी के मंदिर जहां पर जवान शक्ति प्राप्ति के लिये देवी की उपासना करते है।