माता राणी भटियाणी के दर्शन के लिए अल सुबह से ही लगी लंबी कतारें
मंदिर ट्रस्ट ने सुरक्षा को लेकर किए इंतजाम
बालोतरा- माघ माह शुक्ल की चतुर्थदर्शी पर रविवार को जसोल स्थित माजीसा मंदिर परिसर में मेले का आयोजन हुआ। मेले में माजीसा के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। मेले में दूर-दराज से आए पैदल जातरुओं के जत्थे हाथों में ध्वज पताकाएं लिए ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते हुए जसोल धाम पहुंचे। वहीं श्रद्धालुओं की ओर से मां के जयकारे लगाने से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। सवेरे से ही मंदिर में दर्शनार्थियों के आवागमन का सिलसिला शुरू हो गया था, जो कि दिन चढ़ने के साथ काफी बढ़ गया। मेले में बालोतरा, पचपदरा, सिवाना, सिणधरी, गुड़ामालाणी, चौहटन, शिव, रामसर, बायतु, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली, नागौर, जालोर, सिरोही सांचौर के अलावा गुजरात महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश के भी श्रद्धालु मां के दर्शनार्थ जसोल पहुंचे। श्रद्धालुओं ने घंटों प्रतीक्षा के बाद आई बारी पर मां के दरबार में शीश नवा, कुमकुम, चुंदड़ी प्रसाद चढ़ाकर परिवार में खुशहाली की कामना की। इस दैारान मेले के आयोजन को लेकर मंदिर परिसर तथा बस स्टैंड के आसपास के क्षेत्रों के दुकानें सजाई गई। दुकानदारों की ओर से ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए दुकानों को आकर्षक ढंग से सजाया गया। दुकानों से दर्शनार्थियों ने माजीसा के भजनों की सीडी, कैसेट तस्वीर आदि सामग्रियां खरीदी। वहीं प्रसादी की दुकानों पर दिनभर रौनक रही।
राती जोगों में बही भक्ति सरिता –
मनोकामनाएंपूर्ण होने पर कई श्रद्धालुओं ने तेरस के अवसर पर मंदिर परिसर में रातिजोगा दिया। सारी रात मंदिर में भजन-कीर्तन की रसधारा बही। त्रयोदशी को ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर के दरवाजे खुलते ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। मां की मंगल आरती उतार कर, शीश नवा, प्रसाद चढ़ा परिवार में खुशहाली की कामना की। त्रयोदशी को लेकर माता राणी भटियाणी की प्रतिमा को नव वस्त्राभूषण से शृंगारित किया गया।
मां के जयकारों से गूंजा मंदिर –
त्रयोदशी के मेले में मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की ओर से लगाए जाने वाले जयकारों से माहौल गूंज उठा। जयकारों के चलते पूरे दिन मंदिर का माहौल धर्ममय रहा। श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में स्थित सवाईसिंह जी, लालसिंह बायोसा मंदिर में भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। दिनभर श्रद्धालुओं की भारी आवाजाही के चलते मंदिर प्रांगण छोटा नजर रहा था।
नाचते-गातेजत्थों में पहुंचे श्रद्धालु –
त्रयोदशी को माजीसा के दर्शन के लिए बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, जालोर, पाली जैसलमेर सहित अन्य जिलों से लंबी दूरी तय कर पैदल जत्थो के रूप में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। डीजे साउंड पर माजीसा के भजनों पर झूमते नाचते श्रद्धालु माजीसा की भक्ति में रंगे नजर आए। मंदिर पहुंचते ही माजीसा की प्रतिमा के समक्ष नतमस्तक होकर शीश नवाया और खुशहाली की कामना की।
छेड़ाबंदी कर लगाई जात –
शुक्लपक्ष की त्रयोदशी के अवसर पर कई नव-विवाहित जोड़ों ने छेड़ाबंदी बांधकर सुखी दांपत्य जीवन की कामना को लेकर मां के दरबार में जात लगाई। नव-विवाहित जोड़ों ने अपने परिजनों के साथ मां के दरबार में शीश नवाकर पूजा-अर्चना की। छेड़ाबंदी जात देने वालों के लिए सुरक्षाकर्मियों की ओर से अलग से व्यवस्था की गई। मंदिर परिसर में पहुंचे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने माजीसा का वागा, फूल-माला, नारियल, मखाणा प्रसाद का चढ़ावा किया। हजारों श्रद्धालुओं की ओर से चढ़ाए गए चढ़ावे से मंदिर परिसर में चढ़ावे के ढेर लग गए।