जसोल (बाड़मेर )- श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान की और से मंदिर प्रांगण में आयोजिय हो रही राम कथा के आठवें दिन मानस कथाकार संत श्री मुरलीधर महाराज ने राम के वनवास व राजा दशरथ के पुत्र वियोग के प्रसङ्ग को बताया आदमी को प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आंनद से रहना चाहिए तो जीवन में कभी दुख नही आएंगे , सुख और दुःख तो व्यक्ति के विचारों का हैं । ज्ञान , वैराग्य , भक्ति का समावेश जब होता है उसे भगवान से मिलन होता है
मुरलीधर महाराज ने बताया कि राम की कथा को विश्वास के साथ श्रवण करना , श्रवण करते समय अपने कानों को समुद्र की तरह रखना चाहिए , भोजन करने से पूर्व भगवान का ध्यान करके करना चाहिए जिससे भोजन प्रसाद बन जाये और किसी भी प्रकार का विकार उतपन्न नही करेगा और नही अनिष्ट कारी होगा । सबसे बड़ा तीर्थ सत्संग ही है । दान वो देना चाहिए जो सामने वाले के लिए उपयोगी हो । जो मनुष्य में गुण हैं वो परमात्मा के है और अवगुण स्वयं के हैं ।
राजा दशरथ के यौवन काल में श्रवण की हत्या हो गयी श्रवण के माता पिता ने श्राप दिया था कि चार चार पुत्रो के होते हुए भी तुम अंतिम समय मे पुत्र वियोग में निकलोगे । जिस समय तुम्हारे पास में कोई नही होगा उस समय तुम्हारी मृत्यु होगी । अवध के लोग चौदह वर्ष तक वियोग में रहे ।
माता ही कुमाता हो जाये तो किसी को भी दोष नही देना चाहिए । कथा में जूना अखाड़ा अंतराष्ट्रीय महामंत्री परशुराम गिरी महाराज , बंशीलाल परमार , गुलाबसिंह रेडी , निर्मल प्रजापत , वीरेंद्र माली , रामसिंह देवोक , कुम्भाराम सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे। कल पूर्णाहुति की कथा 12बजे से 4 बजे तक आयोजित होगी ।