उन्होंने कहा कि अधिकतर मरीजों का इलाज दवाओं से होता है। कुछ में सर्जरी भी करते हैं। रोग का इलाज कम से कम ढाई या तीन साल तक चलता है। लेकिन ध्यान रखें कि इस दौरान एक भी डोज छूटने से मिर्गी का दौरा दोबारा आने की दिक्कत हो सकती है। इसलिए दवा लेना बंद न करें। पहले की तुलना में नई दवाएं सुरक्षित होने के साथ कम दुष्प्रभाव वाली भी होती हैं। मन्दिर प्रबंधन कमेटी सदस्य लालसिंह असाड़ा ने कहा कि शिविर में बड़ी संख्या में रोगियों की जांच की, साथ ही मिर्गी रोग के बारे में जानकारी देते हुए विभिन्न रोगों से बचाव और उनके उपचार के बारे में बताया। फतेहसिंह जसोल ने कहा कि ऐसे शिविर आयोजन करने से लोगों को राहत मिलती है। बेहतर इलाज से इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। दो दिवसीय शिविर के दौरान जसोल राजकीय अस्पताल प्रभारी डॉ. शौरभ शारदा, मेलनर्स जगदीश सिंह, दिनेश पंवार व पदम कुमार ने अपनी सेवाएं दी। शिविर में सुरजभान सिंह दांखा, संस्थान मैनेजर जेठूसिंह, भोपाल सिंह मलवा सहित संस्थान के समस्त कर्मचारी व गणमान्य लोग मौजूद रहे।
मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं, उपचार लंबा है लेकिन काबू पाया जा सकता- डॉ. चुतुर्भुज सिंह
मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं, उपचार लंबा है लेकिन काबू पाया जा सकता- डॉ. चुतुर्भुज सिंह
जसोल धाम में निशुल्क मिर्गी शिविर में 250 रोगियों की हुई जांच
जसोल- श्री राणी भटियाणी मन्दिर संस्थान के तत्वाधान में दो दिवसीय नि:शुल्क मिर्गी जांच व परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। दो दिवसीय आयोजित हुए शिविर में 250 रोगियों की जांच कर नि:शुल्क दवाइयां बांटी गई। शिविर के समापन पर न्यूरोलॉजिस्ट व मिर्गी रोग विशेषज्ञ डॉ. चुतुर्भुज सिंह ने कहा कि मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं है। इसका उपचार थोड़ा लंबा है, लेकिन इसपर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस रोग से जुड़े लोगों को चाहिए कि वह बीमारी से जुड़ी गलत जानकारियों व सूचनाओं पर ध्यान न देकर विशेषज्ञ डॉक्टरों से संपर्क करें। मरीज को अपनी स्थिति के बारे में डॉक्टरों व परिजनों से छिपाना नहीं चाहिए। बेहतर इलाज से इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।