मेरी नैया में सीता राम गंगा मैया धीरे चलो –
जसोल ( बाडमेर) – श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान की और से मंदिर प्रांगण में आयोजित हो रही रामकथा के सातवें दिन मानस कथाकार संत मुरलीधर महाराज ने राम के राज्याभिषेक व केवट के प्रसंग को बताया जीवन मे मनुष्य को धर्म कार्यो को करना चाहिए संत को स्थिर जल की तरह नही होकर निर्मल अथार्त बहते हुए जल की तरह होना चाहिए ,जीवन में कर्म को देखना चाहिए संचार के वैराग्य को नही देखना चाहिए ,जीवन में राग का प्रवेश नही होने देना चाहिए |
जसोल ( बाडमेर) – श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान की और से मंदिर प्रांगण में आयोजित हो रही रामकथा के सातवें दिन मानस कथाकार संत मुरलीधर महाराज ने राम के राज्याभिषेक व केवट के प्रसंग को बताया जीवन मे मनुष्य को धर्म कार्यो को करना चाहिए संत को स्थिर जल की तरह नही होकर निर्मल अथार्त बहते हुए जल की तरह होना चाहिए ,जीवन में कर्म को देखना चाहिए संचार के वैराग्य को नही देखना चाहिए ,जीवन में राग का प्रवेश नही होने देना चाहिए |
श्री राम का राज्याभिषेक कैकयी के दो वचन से नही हो सका भरत को राज व राम को वनवास । भगवान से सुन्दर इस संचार में कोई नही हैं ,भक्त को भगवान के साथ के रिस्ते को समझना चाहिए | मानव को अपनी सुन्दरता का भान नही करना चाहिए |
केवट द्वारा भगवान राम को गंगा पार करने के सुंदर व्रतांत को बताया जिसमें केवट ने श्री राम के चरणों को पखार कर अपने परिवार का कल्याण कर दिया । बिन पानी के मछली तडपती हैं ठीक उसी प्रकार मानव ज्ञान नही होने से तड़पता हैं | आदमी को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए ।।
कथा में राज्य केबिनेट मंत्री शम्भूसिंह खेतासर , रावल किशनसिंह , फरसाराम सोनी , फतेहसिंह ,चन्द्रप्रकाश गुप्ता , गौतम गहलोत , गोपाल राठी , मंगलाराम प्रजापत ,पारसमल गहलोत सहित कथा में के गांवो से बड़ी संख्या में धर्म प्रेमी श्रोताओं ने लाभ लिया ।