लूणी नदी के बढते हुए प्रदुषण पर चिन्ता जताई
मरुगंगा लूणी नदी पर अमेरिका में हो रहा अध्य्यन
बालोतरा- अमेरिका की प्रसिद्ध युर्नीवसिटी ऑफ़ पेनसिलवेनिया का 14 सदस्यों एक अध्य्यन दल इस पर विशेष रिसर्च कर रहा है । श्री राणी भटियाणी मन्दिर संस्थान-जसोल के अध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल ने बताया कि यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेनसिलवेनिया के प्रोफ़ेसर श्रीमती अनुराधा माथुर के नेतृत्व में यह अध्य्यन दल इस क्षेत्र में लूणी उद्धगम स्थल, प्रवाह आदि को विभिन पहलुओ पर महत्वपूर्ण जानकारिया व प्रमाण जुटाये । इस अध्य्यन दल ने बालोतरा, जसोल, तिलवाड़ा, सिणधरी, गांधव आदि गाँवो – कस्बो को अपने अध्य्यन का केन्द्र बिन्दु लूणी नदी के तटों पर बसे हुए उनको बनाया हैं। प्रो. मैथ्यू नैफ व सैरा साईमन ने बताया कि लूणी नदी का पर्यावरण की दृष्टि से वें विशेषकर अध्य्यन कर रहे हैं व अपने सकारात्मक सुझावों से अवगत करायेंगे ।
उन्होंने लूणी नदी के बढते हुए प्रदुषण पर चिन्ता जताई और उसकी नैसर्गिक पावनता बनाए रखने पर बल दिया । नदी में बालोतरा, जसोल व तिलवाड़ा नगरों के कचरा विशेषकर प्लास्टिक डालने व कपड़ा उद्योग की इकाइयों द्वारा विषैले रासायनिक पानी के रिसाव से मुक्त कराने के सुझाव दिये। उन्होंने सैटेलाईट द्वारा लूणी नदी की स्थिति के नक़्शे भी अध्य्यन हेतु बनाये ।
जसोल में बने पांच सैंड डैम व ओरण पुनरोद्वार योजना के अंर्तगत धामण घास व वृक्षारोपण कार्य का अवलोकन किया । मालाजाल पालिया में भी उन्होंने श्री राणी भटियाणी मन्दिर संस्थान जसोल द्वारा वृक्षारोपण , धामण घास परियोजना, जल संग्रहण हेतु तालाब, साइबेरिया तथा मंगोलिया से आये कुर्जा पक्षियों हेतु दाने – पानी की सुविधा तथा आदर्श गौशाला संचालन एवं पर्यावरण हेतु किये सकारात्मक कार्यो की प्रशंसा की । तिलवाड़ा लूणी नदी में रावल मल्लीनाथ जी मेले स्थल का अवलोकन किया व वहां नदी में पाये गये प्लास्टिक व कचरे पर चिन्ता व्यक्त की । 700 वर्ष से चले आ रहे प्राचीन मेले हेतु लूणी। नदी की पवित्रता को पुर्नजीवित करने पर बल दिया । उन्होंने लूणी नदी की महता को प्राचीन सांस्कृतिक , धार्मिक कला ,व पर्यावरण के परिपेक्ष में देखने का प्रयास किया है । उद्योग व पर्यावरण दोनों को जोड़ते हुए सर्वांगीण विकास होना आवश्यक माना व प्रदुषण रहित अन्य उद्योग , जैसे कि हाथ करघा ( हैंडीक्राफ्ट ) पर बल दिया। बरनावा में लंगा कलाकारों तथा बालोतरा में हस्त छापा उद्योग हेण्ड प्रिंटिग का उनकी कला को जीवित रखने पर बल दिया । वर्ष 2012 – 13 में शिकांगों विश्वविद्यालय के छात्र श्री बैन्जामिन जोरास्की भी फुलब्राईट स्कोलरशिप पर जसोल में आठ माह रहकर कपड़ो की फैक्ट्ररियो के प्रदूषित जल को पेड़ पोधों द्वारा शोधक विषय पर अध्य्यन कर रिपोर्ट प्रस्तुत की थी । उन्होंने सौर ऊर्जा द्वारा प्रदूषित जल को सुखाने पर भी महत्वपूर्ण शोध किया था | अन्तिम दिवस में इस अधय्यन दल एवं क्षेत्र के प्रमुख ऊद्यमी, किसानो एवं वरिष्ठ नागरिको के बीच इस विषय पर संवाद हेतु बैठक आयोजित की | जिसमै कई प्रकार के सकारात्मक विचारों का आदान प्रदान हुआ |