जयपुर,
24 मई, 2017
राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्षो में अनेक विकासात्मक योजनाओं के माध्यम से उचित सार-संभाल के अभाव में समय के साथ-साथ बेहाल और जर्जर हो रहे सार्वजनिक एवं बहुउपयोगी जल स्रोतों का सही रखरखाव कर उनका कायाकल्प कर आमजन को राहत दी है।
डूंगरपुर जिले में भी सफलतापूर्वक संचालित हो रही ऎसी ही जनकल्याणकारी महात्मा गांधी नरेगा योजना से जहां इस वनांचल के लोगों को रोजगार मिलने से पलायान की समस्या से राहत मिली है वहीं इस योजना के तहत अनेक विकासात्मक कार्यों का भी संपादन हुआ है। इसमें क्षेत्र के प्राचीन जलस्रोतों का जीणोऱ्द्धार भी सम्मिलित है।
ऎसे ही जीवनदान की अपेक्षाओं के लिए तरस रहा था जिले की गलियाकोट पंचायत समिति की ग्राम पंचायत गडा मेडतिया का लोहारिया तालाब। गांव का यह महत्वपूर्ण जल स्रोत अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्षरत था और इसे जीवनदान दे गई महात्मा गांधी नरेगा योजना।
जिले की गलियाकोट पंचायत समिति की ग्राम पंचायत गडा मेडतिया का लोहारिया तालाब लम्बे समय से रखरखाव और मरम्मत के अभाव में खत्म होने के कगार पर था। इस तालाब में कंटिली झाड़ियों के साथ-साथ पाल के कच्चे एवं कम मोटाई के होने के कारण वर्षा का पानी भी नहीं रुकता था। हमेशा ही पानी की कमी से जूझते इस क्षेत्र के प्राचीन जल स्रोत के भी खत्म होने के कगार पर आने से ग्रामवासी चिंतित थे। इन स्थितियों में महात्मा गांधी नरेगा योजना इस तालाब और ग्रामीणों के लिए वरदान बनकर आई। ग्राम सभा में ग्राम पंचायत ने इस योजनान्तर्गत 35 लाख 95 हजार से मॉडल तालाब निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया और कार्य की महत्ता को समझते हुए तत्काल स्वीकृति भी जारी कर दी गई। गांव के तालाब के लिए हो रहे काम को देखकर ग्रामीणों ने भी पूरे मनोयोग से कार्य करते हुए अप्रेल 2016 में प्रारंभ हुए इस कार्य को जुलाई 2016 में ही पूर्ण कर लिया गया।