जयपुर, 9 जून। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान अब जन-जन का अभियान बनता जा रहा है, जल स्वावलम्बन सप्ताह के तहत शुक्रवार को कोटा शहरी क्षेत्र में जिला प्रभारी मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी के नेतृत्व में किये गये श्रमदान में 300 वर्ष पुरानी ऎतिहासिक जमना बावड़ी जीवंत हो उठी। जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, मीडिया कर्मियों सहित क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों ने मिलकर फावड़ा चलाया तो तगारी भी उठाई। यहां देखते ही देखते 3 घंटे में रियासतकालीन बावड़ी का नया स्वरूप निखर कर सामने आया।
नगर निगम द्वारा जिला कलक्टर रोहित गप्ता के निर्देशन मे शहर में सात बावड़ियों पर शुक्रवार को एक साथ श्रमदान किया गया जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों, बड़ी संख्या में आम नागरिकों ने शिरकत कर परम्परागत जल स्रोतों की सफाई की तथा सरकार की पहल की सराहना की। सात बावड़ियों में उम्मेदगंज प्राचीन गेट के सामने, रगंबाड़ी मंदिर, झरनेश्वर महादेव मंदिर बावड़ी, शिव मंदिर कुण्ड कंसुआ, दानबाड़ी दादाबाड़ी, दुधाधारी मंदिर लाडपुरा बावड़ी में श्रमदान किया गया।
प्रभारी मंत्री ने कहा कि जल स्त्रोतों के संरक्षण की हमारी पुरातन परम्परा रही है, इसे बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा कि कोटा शहर में 107 कार्यों का अभियान के तहत चयन किया गया है, जिस पर 1 करोड़ 85 लाख रुपये व्यय किये जायेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रथम चरण में कराये गये जल स्वावलंबन अभियान कार्य के सकारात्मक परिणाम सामने आये है। जिसके फलस्वरूप यह जल स्वावलंबन अभियान अब आमजन की सक्रिय भागीदारी से जनक्रांति का रूप ले चुका है। अनेक स्थान जो डार्कजोन में आते थे वहां पर पेयजल उपलब्ध होने के साथ साथ भूमि का जल स्तर भी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि हमें पेयजल को जरूरत के अनुसार उपयोग में लेते हुए दूसरों की भी चिंता करनी चाहिए। पेयजल संग्रहण जलचर और नभचर दोनों के लिए जरूरी है।