जयपुर, 22 मई। गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा ने घर-परिवार की शिक्षा-दीक्षा, हुनर और संस्कारों को व्यक्तित्व विकास का मूलाधार बताया और कहा है कि समय के अनुरूप बदलाव और परिस्थितियों से सामन्जस्य बिठाकर चलना ही जीवन विकास की कला है।
श्रीमती सिन्हा सोमवार को राजसमन्द के भिक्षु निलयम में आयोजित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय बालिका उत्थान शिविर के समापन समारोह में मुख्य अतिथि पद से संबोधित कर रही थी।
उन्होंने बालिकाओं और महिलाओं से कहा कि वे अपने बहुआयामी उत्थान और सामाजिक विकास के लिए सभी उपयोगी हुनरों में दक्षता प्राप्त करें और अपनी खास पहचान बनाते हुए समाज की सेवा में आगे आएं।
राज्यपाल ने भारत माता, पं. दीनदयाल उपाध्याय एवं श्री श्यामप्रसाद मुखर्जी की तस्वीर के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर समारोह की शुरूआत की।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिता भदेल, जिला प्रमुख श्री प्रवेश कुमार सालवी, नगर परिषद के सभापति श्री सुरेश पालीवाल, शिविर संयोजिका श्रीमती संगीता माहेश्वरी सहित जन प्रतिनिधिगण, अधिकारीगण, शिविरार्थी बालिकाएं एवं महिलाएं तथा उनके परिजन, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।