सरकारी डॉ जीनगर ने चिकित्सा विभाग का बनाया मख़ौल, अस्पताल के सामने ही खोला अपना निजी क्लिनिक
सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य जांच नही करवा कमीशन वाले लेब पर अपनी मुहर लगी भेजी जा रही पर्ची
अपने क्लिनिक पर मरीजों को भेजने के लिए नाहटा अस्पताल ने लगाया निजी सहायक
बालोतरा- बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का दावा सरकार हमेशा करती है। वंही इसके लिए आदेश-निर्देश जारी किए जाते रहे हैं। इसके बावजूद जब इसमें अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है। इस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। जंहा बेहतर उपचार के साथ बेहतर सुविधाएं के लिए पचपदरा विधायक मदन प्रजापत लगातार प्रयासरत है। ऐसे में उपखण्ड मुख्यालय स्थित राजकीय नाहटा जिला चिकित्सालय में लगे फिजिशियन डॉ. गौतम जीनगर ने मरीजो को लूटने में कोई कसर नही छोड़ रहा हैं। जिससे विधायक महोदय की किए हुए कार्यो व चिकित्सा सुविधाओं का सरकारी मशीनरी का उपयोग ना करवाते हुए अस्पताल में आने वाले मरीजो को अपने निजी चिकित्सालय में उपचार के लिए बुलाया जा रहा हैं।
वंही निजी लेबो में जांच करवाई जा रही है। दरअसल बता दे कि डॉ जीनगर ने चिकित्सा विभाग के आधा दर्जन नियमों को धता बताते हुए अपने अलग ही नियम बना रखे है। कोविड के इस संकट के दौर में आम आदमी इससे उभरा ही नही है। लेकिन डॉक्टर साहब को तो अपनी पड़ी है। जिसके चलते इलाज के लिए आने वाले प्रत्येक मरीज की जुंबा पर डॉ जीनगर का नाम है। जिसने मरीजो के साथ चिकित्सा के पर्दे के पीछे बड़ी लूट को अंजाम दिया जा रहा है। इन सभी को लेकर मरीजो को अपने निजी अस्पताल में कैसे भेज सके इसको लेकर डॉ. जीनगर ने राजकीय नाहटा अस्पताल में अपना एक निजी सहायक भी लगा रखा है। जो अस्पताल में आने वाले मरीजो के साथ डील करता हुआ दिखाई देता है। जिसके माध्यम से ही दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले ग्रामीणों को जांच के लिए अस्पताल में स्तिथ लेब में नही भेजते हुए अपने कमीशन वाली अस्पताल के बाहर स्तिथ निजी लेब में भेजा जा रहा है। अस्पताल की कटी हुई पर्ची पर अपनी मुहर लगा कर निजी लेब में भेजी जा रही है। जिससे अपना उस लेब के साथ कमीशन का रिश्ता बन रहे है। लेब मालिक को पहचान हो जाए कि उक्त मरीज को डॉ जीनगर के द्वारा भेजा गया है। खासकर तब जब चिकित्सा विभाग द्वारा अस्पताल में निःशुल्क जांच का दौयर बड़ाया जा रहा है। उसके साथ ही सरकार अस्पताल में संसाधन और चिकित्सक दोनों मुहैया करवाने के बावजूद मरीजो के मसीहा कहे जाने वाले डाक्टर अगर अपनी कमाई के लिए अस्पताल में मरीजो की अनदेखी क्यों कर रहे हैं। समय रहते डॉ जीनगर पर लगाम नही कसी गई तो लूट का यह खेल बढ़ता जाएगा। और जो भी नया चिकित्सक अस्पताल में आएगा और अपना लूट का खेल चलता रहेगा।
अस्पताल के सामने डॉ जीनगर ने बनाया अपना चार बेड का निजी अस्पताल-
कोरोना संकट के इस दौर में जंहा डॉक्टर भगवान बन कर मरीजो के लिए सामने आए है। दिनरात अपने चिकित्सा परिश्रम से मरीजो को ठीक किया। लेकिन ठीक इसके विपरीत नाहटा अस्पताल के फिजिशियन डॉ गौतम जीनगर ने चिकित्सा विभाग के नियमो को ताक पर रखते हुए अस्पताल के बाहर चार से पांच बेड का निजी चिकित्सालय बनाया रखा है। जिसमे मरीजो को अस्पताल में भर्ती करवाने की बजाए अपने निजी अस्पताल में भर्ती करवाया जा रहा है। नाहटा अस्पताल में
लगे अपने निजी सहायक द्वारा उपचार के लिए मरीजो को अपने निजी चिकित्सालय में बुलाया जा रहा है। अब तक तो सरकारी अस्पताल में लगा डॉक्टर अपने निवास पर मरीज को देखता था लेकिन बालोतरा के नाहटा अस्पताल में लगाए डॉक्टर साहब ने निजी अस्पताल बनाने में कोई सरकार से विशेष अनुमति ले रखी क्या – ? जिसके चलते उन्हें विभाग के नियमो का मख़ौल बनाते देख सकते है। जो सरकार के स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी आम लोगों पर भारी पड़ रही है।
बड़ी जांच भेजो तो बड़ा कमीशन –
आलम यह है कि नाहटा अस्पताल में जांच की सुविधा होने के बावजूद अस्पताल के आस-पास बने डायग्नोस्टिक सेंटर पर मरीजों को भेजा जाता है। जानकारी के अनुसार
डॉ जीनगर द्वारा कमीशन के खेल को सबसे ज्यादा बढ़ावा दिया है। सूत्र बताते है कि इस जांच के लिए डॉक्टर साहब को को 500 से लेकर 1000 रुपए तक का कमीशन दिया जाता है। जितनी ज्यादा जांचें, उतना अधिक कमीशन, फिर चाहे जांच के आधार पर मरीज का इलाज होना हो या न हो।
इनका कहना-
कोई भी सरकारी चिकित्सक अस्पताल में अपना निजी सहायक नही रख सकता, यदि रखता है वो गलत है। ओर नियम विरुद्ध है।
बाबुलाल विश्नोई सीएमएचओ बाड़मेर।