निजी सहभागिता से राजस्थान के चार शहरों जयपुर, जोधपुर, कोटा और उदयपुर में वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट को हाथ में लिया जाएगा। इनमें से दो शहरों जयपुर व जोधपुर में कचरे से बिजली बनाने की टेण्डर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। शेष दो शहरों में भी जल्द ही इस प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। साथ ही करीब 160 शहरों में निकाय अपने स्वयं के खर्चे पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित करेंगी।
प्रदेश में वर्तमान में आरडीएफ एवं कम्पोस्टिंग
के पांच प्लांट कार्यरत हैं तथा 19 नए कम्पोस्ट प्लांट इसी साल अक्टूबर तक प्रारंभ होने की संभावना है। कम्पोस्ट बनाने के कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से नियमों में बदलाव संशोधन किया गया है। पहले सब्सिडी फर्टीलाइज़र कंपनियों को देने का प्रावधान था, लेकिन अब इसे निकायों को मुहैया करवाया जाएगा। साथ ही कम्पोस्ट मशीनों को डीजीएस एण्ड डी रेट कॉन्ट्रैक्ट के तहत लाने की कवायद चल रही है ताकि निकाय सीधे उसी रेट पर क्रय कर सकेंगी।
मिशन की गाइड लाइन में शामिल
स्वच्छ भारत मिशन की गाइडलाइन में भी वेस्ट से बिजली बनाने की अनिवार्यता शामिल है। अर्थात इसके अलावा जो शहर अमृत मिशन व स्मार्टसिटी में शामिल है, उनमें यह कचरे से बिजली बनाने का प्लांट अनिवार्य किया गया है। इन्हीं प्रावधानों के चलते प्रदेश के शहरों में कचरे से बिजली बनाने की कवायद पर कार्य किया जा रहा है।