राजस्थान का बाड़मेर जिला, जो अब तक बाल विवाह की घटनाओं के लिए चिंताजनक आंकड़ों में शामिल रहा है, अब एक ऐतिहासिक बदलाव की ओर अग्रसर हो रहा है। जिले की कलेक्टर टीना डाबी ने बाल विवाह जैसी कुप्रथा को खत्म करने के लिए अभूतपूर्व और कड़े कदम उठाते हुए एक सशक्त आदेश जारी किया है, जो 9 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 तक प्रभाव में रहेगा। यह आदेश न केवल सरकारी तंत्र को सक्रिय कर रहा है, बल्कि आमजन से भी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की अपील कर रहा है।कलेक्टर टीना डाबी का निर्देश – ‘अब कोई समझौता नहीं’इस विशेष आदेश के अंतर्गत जिले के सभी प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों – जिला पुलिस अधीक्षक, समस्त उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, विकास अधिकारी, शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे बाल विवाह रोकथाम हेतु सख्त कार्रवाई करें। आदेश के अनुसार, ग्राम स्तर से लेकर जिला मुख्यालय तक निगरानी, जागरूकता, और कानूनी कार्रवाई को तीन स्तंभों के रूप में अपनाया जाएगा।कलेक्टर ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “बाल विवाह एक सामाजिक अपराध है, जो हमारे बच्चों के भविष्य को बर्बाद करता है। इसे रोकना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस दिशा में अब कोई ढील नहीं बरती जाएगी।”विशेष निगरानी में सामूहिक विवाह समारोहप्रशासन की नजर अब विशेष रूप से 31 जुलाई 2025 को होने वाले सामूहिक विवाह आयोजनों पर रहेगी, क्योंकि इन आयोजनों में अक्सर बाल विवाह की घटनाएं छुपी रह जाती हैं। इसके लिए एक विशेष टास्क फोर्स गठित की जा रही है जो शादी समारोहों की जाँच करेगी, और बाल विवाह की आशंका होने पर त्वरित हस्तक्षेप करेगी। यह टास्क फोर्स पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक सक्रिय होगी, जिसमें स्थानीय अधिकारी, पुलिस, महिला कार्यकर्ता और स्वयंसेवी संस्थाएं शामिल रहेंगी।आदेश में यह भी कहा गया है कि ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल कल्याण, और सामाजिक न्याय विभाग के कर्मचारी अब जागरूकता फैलाने की दिशा में काम करेंगे। इन कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है कि गाँव-गाँव में बाल विवाह की रोकथाम संबंधी जानकारी फैलाई जाए, बच्चों और अभिभावकों को उनके अधिकारों और कानूनों की जानकारी दी जाए, और जरूरत पड़ने पर संबंधित अधिकारियों को तुरंत सूचित किया जाए।प्रशासन द्वारा शालाओं, आंगनवाड़ियों, और पंचायत भवनों में नुक्कड़ नाटक, भाषण प्रतियोगिताएं, और पोस्टर प्रदर्शनी जैसे कार्यक्रम आयोजित करवाने की भी योजना है। इन अभियानों में ग्रामीण महिलाओं और किशोरियों की सक्रिय भागीदारी पर विशेष जोर रहेगा।टीना डाबी द्वारा लिए गए इस निर्णय की पृष्ठभूमि में बाल विवाह के भयावह आंकड़े हैं।यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में हर साल लगभग 1.2 करोड़ लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में कर दी जाती है।भारत इस सूची में शीर्ष पर है, जहां लगभग 27% लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है।राजस्थान, विशेष रूप से बाड़मेर, में यह आंकड़ा और भी भयावह है। NFHS-5 सर्वे के अनुसार, राज्य में 25% से अधिक लड़कियाँ बाल विवाह की शिकार होती हैं।बाल विवाह से शिक्षा बाधित होती है, स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं, और महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की संभावनाएं घट जाती हैं।WHO के आंकड़े बताते हैं कि 15 से 19 वर्ष की उम्र में गर्भधारण करने वाली लड़कियों में प्रसव संबंधी जटिलताएं सामान्य से 50% अधिक होती हैं।प्रशासन का डिजिटल और कानूनी एक्शन प्लानजिला कलेक्टर द्वारा जारी यह आदेश पूरी तरह से डिजिटल हस्ताक्षरित और प्रमाणिक है। इसे 9 अप्रैल 2025 को सुबह 9:04:13 बजे अधिकृत रूप से जारी किया गया है, और आदेश पर “Signature Valid” की डिजिटल मुहर भी लगी हुई है।इस आदेश के माध्यम से यह संदेश साफ है कि अब बाड़मेर जिला प्रशासन केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हर स्तर पर सक्रियता और जिम्मेदारी की मिसाल पेश करेगा। जिला प्रशासन की यह कोशिश यदि पूरी तरह से लागू हुई, तो यह राजस्थान में बाल विवाह की कुप्रथा को समाप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो सकती है।कलेक्टर टीना डाबी ने आमजन से भी विशेष अपील की है कि यदि कहीं भी बाल विवाह की सूचना मिले, तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें। उन्होंने कहा, “समाज की चुप्पी बाल विवाह को बढ़ावा देती है। जब समाज जागरूक होगा, तभी यह बुराई रुकेगी। हमें हर नागरिक को इस मुहिम का हिस्सा बनाना होगा।”बाड़मेर जिले में अब यह केवल प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बनता जा रहा है – जहाँ सरकार और समाज मिलकर बच्चों को एक बेहतर, सुरक्षित, और उज्जवल भविष्य देने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।